इस बार यूएस यात्रा के दौरान दो महत्वपूर्ण चीजों को देखने का मौका मिला. एक थी न्यूयॉर्क सिटी में मैनहट्टन की गगनचुंबी इमारतें, और दूसरा न्यूयॉर्क स्टेट में ही कैनेडा की सीमा पर स्थित नियाग्रा फॉल्स. मैनहट्टन की स्काईलाइन जहां मनुष्य की विलक्षण मेघा और क्षमता की कहानी कहती है, वहीं नियाग्रा फॉल्स का प्रवाह और वेग प्रकृति की असीमित शक्तियों का बखान करता है.
नियाग्रा फॉल्स के सामने खड़े होने पर पहला ख्याल यही आता है कि प्रकृति की विशालता और शक्ति के सामने मनुष्य कितना छुद्र है. लेकिन यदि आप नियाग्रा का इतिहास देखें तो वह भी मनुष्य की उपलब्धियों और क्षमताओं की ही कहानी कहता है.
नियाग्रा फॉल्स कुल मिला कर लगभग 12-15 हजार वर्ष ही पुराने हैं. लगभग इसी समय पिछले आइस एज के खत्म होने के बाद उत्तर अमेरिकी महाद्वीप में ग्लेशियर्स के पिघलने पर ग्रेट लेक्स की श्रृंखला बनी. इन्हीं में से दो झीलों, लेक आईरी और लेक ओंटारियो को जोड़ने वाली नियाग्रा नदी पर यह जलप्रपात स्थित है. लेकिन यह प्रपात हमेशा यहीं नहीं था. 12000 वर्ष पहले यह अपने वर्तमान स्थल से लगभग सात मील आगे था, लेकिन जल के वेग से चट्टानों के कटने के कारण यह खिसकते खिसकते यहां पहुंच गया और इसी गति से कटाव जारी रहे तो अगले कुछ हजार वर्षों में यह गायब होकर लेक आईरी में मिल जा सकता है.
जब 19वीं सदी में मनुष्य ने प्रपात की जलविद्युत उत्पादक क्षमता को पहचाना तो इसके ऊपर कई छोटे बड़े पावरप्लांट बन गए. पर तब उनसे सिर्फ DC करेंट का उत्पादन होता था जिसको सिर्फ सौ दोसौ मीटर ही ट्रांसमिट किया जा सकता था. तो परिणामस्वरूप अनेक छोटे बड़े उद्योग उस क्षेत्र में खुल गए जो इन पावरप्लांट की बिजली से चलते थे. उसके अलावा उसके आस पास की एकाध स्ट्रीट में बिजली की स्ट्रीट लाइट जलती थी. लेकिन तब इन उद्योगों के कारण नियाग्रा फॉल के आस पास के स्थान की सुंदरता नष्ट हो गई, और कई पर्यावरणवादियों ने नियाग्रा फॉल की सुंदरता बचाने के लिए नियाग्रा बचाओ आंदोलन शुरू किया. लेकिन यह सुंदरता उन उद्योगधंधों और असह्य आर्थिक हानि की ही कीमत पर संभव थी.
आज नियाग्रा फॉल का क्षेत्र अदभुत प्राकृतिक सुंदरता का क्षेत्र है जहां पर्यावरण अत्यंत संरक्षित है. लेकिन यह किन्हीं पर्यावरणवादियों के झंडों और नारों से नहीं संभव हुआ. यह उपलब्धि है एक ब्रिलियंट साइंटिस्ट और एक साहसी दूरदर्शी उद्योगपति की पार्टनरशिप की.
महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने 1887 में AC करेंट मोटर का आविष्कार किया, और उनके साथ मिलकर एक उद्योगपति जॉर्ज वेस्टिंगहाउस ने वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी बनाकर नियाग्रा फॉल्स पर बिजली बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया. AC करेंट का DC करेंट के ऊपर यह एडवांटेज था कि दूर दूर तक इसका ट्रांसमिशन संभव था. परिणामस्वरूप नियाग्रा फॉल क्षेत्र के ऊपर स्थापित सभी उद्योग धंधों को उस जगह से दूर हटकर लगाना संभव हुआ और वह स्थान शुद्ध रूप से एक प्राकृतिक आकर्षण के रूप में विकसित हो सका. 1901 में वहां से बीस मील दूर बफैलो शहर में पैन अमेरिकन व्यापार मेला लगा जो नियाग्रा फॉल में उत्पादित बिजली से जगमगा उठा. पूरे विश्व ने इस महान टेक्नोलॉजिकल उपलब्धि को देखा, पहचाना, स्वीकार किया और देखते देखते दुनिया बदल गई.
नियाग्रा फॉल की सुंदरता और संरक्षण सिर्फ अच्छी नीयत और कवि हृदय भावुकता का परिणाम नहीं है. वह शुद्ध रूप से मानवीय तकनीकी क्षमता, उद्यमिता और साहस का परिणाम है. यदि आप प्रकृति को अछूता छोड़ देंगे तो प्रकृति का बदलना नहीं रुक जाता. नियाग्रा फॉल के कटाव और क्षरण (erosion) की दर करीब 4 फीट प्रति वर्ष हुआ करती थी. 1969 में यूएस आर्मी के इंजीनियर्स ने एक डैम बनाकर नियाग्रा फॉल के अमेरिकी भाग में जलप्रवाह को छह महीने के लिए रोके रखा. इस दौरान नदी की तली में चट्टानों को करीने से लगाया गया और नदी के बेड को रिकंस्ट्रक्ट किया गया जिसके बाद कटाव की दर घट कर कोई चार इंच प्रति वर्ष हो गई. प्रपात के पहले पड़ने वाले गोट आइलैंड और थ्री सिस्टर्स आइलैंड्स को भी रिस्ट्रक्चर किया गया और कटाव को रोककर इस क्षेत्र को एक सुरक्षित टूरिस्ट आकर्षण बना दिया गया. आज वहां प्रकृति भी अधिक सुंदर और संरक्षित है और मनुष्य के लिए अधिक सुगम्य है.
नियाग्रा फॉल का यह कायाकल्प संभव हुआ तो सिर्फ इसलिए कि निकोला टेस्ला की खोज ने संसाधनों का अधिक एफिशिएंट उपयोग खोजा, जो उस फॉल पर स्थापित उद्योगों से कई गुना अधिक प्रॉफिटेबल था. साथ ही फॉल की सुंदरता भी एक निवेश ही है क्योंकि उस क्षेत्र का सबसे लाभकारी उद्यम टूरिज्म है जो अपने आप में एक उद्योग ही है. और यह उद्योग भी इसलिए संभव है क्योंकि ट्रांसपोर्ट में नई तकनीक के विकास से लाखों टूरिस्ट्स का वहां पहुंचना अधिक सुगम हो गया है. आज नियाग्रा फॉल इसलिए सुंदर है क्योंकि उसकी सुंदरता को मेंटेन करना फायदे का सौदा है.
बात आपको भ्रामक और विरोधाभासी लगेगी, लेकिन तकनीक और उद्योग प्रकृति के सबसे अच्छे मित्र हैं. तकनीक संसाधनों का सबसे एफिशिएंट उपयोग संभव बनाती है जिससे कम से कम संसाधनों के प्रयोग से अधिकतम उत्पादन संभव होता है. साथ ही उद्योगों की उत्पादकता प्रकृति के संरक्षण के लिए संसाधन उपलब्ध कराती है. दूसरी ओर पर्यावरणवादियों के झंडे डंडे पर्यावरण के सबसे बड़े शत्रु हैं क्योंकि वे उद्योगों और तकनीक की पूरी क्षमता विकसित नहीं होने देते.
(चित्र में : नियाग्रा फॉल के शीर्ष पर स्थापित निकोला टेस्ला की प्रतिमा)

डॉ राजीव मिश्रा यूँ तो पेशे से चिकित्सक हैं पर शौकिया लेखन से किशोरावस्था से ही जुड़े हैं. इन्होंने भारतीय सेना की मेडिकल कोर में भी सेवाएँ दी हैं और मेजर के पद से सेवानिवृत हुए. साथ ही जमशेदपुर में अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े रहे. उन्होंने चिकित्सा के अलावा साहित्य, राजनीति और इतिहास के अध्ययन में अपनी रुचि बनाई रखी और सोशल मीडिया के आगमन ने उनकी सृजनात्मकता को नई दिशा दी. अपनी विचार यात्रा में उन्होंने वामपंथ से शुरुआत करके गाँधीवाद और फिर राष्ट्रवाद तक की दूरी तय की है, और सोशल मीडिया में राष्ट्रवादी लेखकों के बीच एक परिचित नाम हैं. “विषैला वामपंथ” लेखक की पहली प्रकाशित कृति है. वर्तमान में लेखक यू.के में नेशनल हेल्थ सर्विसेज में चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं.